गुरुवार, 27 नवंबर 2008

मप्र चुनाव में उत्तर प्रदेश सीमा पर खास नजर

ओरछा/भोपाल। मध्य प्रदेश में गुरुवार को मतदान के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सीमा संवेदनशील हो गई है। सीमा पर स्थित पर्यटन केंद्र ओरछा में बीते दो दिनों से पुलिस अफसरों के फोनों की घंटियां लगातार बज रही हैं। ज्यादातर शिकायतें उत्तर प्रदेश से सीमा पार कर आ रही अवैध शराब, हथियारों से लैस अपराधियों व मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बंट रहे नोटों की है। उत्तर सीमा पर मध्य प्रदेश पुलिस खास नजर रखे हुए है।
ओरछा कस्बे में कई घरों की तलाशी पुलिस ले चुकी है और आने-जाने वाले वाहनों पर उसकी कड़ी नजर है। बड़ी मुश्किल से इक्का-दुक्का वाहन ही सीमा पार कर जा पा रहे हैं। हालत यह है कि पर्यटकों से भरे रहने वाले ओरछा में फिलहाल सैलानियों से ज्यादा पुलिस के जवान हैं। उस पर भी भाजपा नेताओं को अपने शासन वाली मध्य प्रदेश पुलिस नहीं, बल्कि गुजरात पुलिस पर ज्यादा भरोसा है।
जी हां, भरोसा नहीं होता तो एक बानगी देखिए। टीकमगढ़ से ओरछा के रास्ते में पृथ्वीपुर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सुनील नायक से यह संवाददाता बात कर रहा था। उसी समय भाजपा कार्यकर्ता सूचना देते हैं कि क्षेत्र में कई सशस्त्र असामाजिक तत्व व अवैध शराब पहुंच चुकी है। नायक फोन पर कुछ अधिकारियों से बात करते हैं और उन्हें गांवों व स्थानों के बारे में बताते है। साथ ही अनुरोध करते हैं कि इस क्षेत्र में गुजरात से आए पुलिस बल को तैनात किया जाए।
मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, लेकिन नायक को प्रदेश की पुलिस पर भरोसा नहीं है। उन्हें लगता है कि वह दबाव में आ सकती है। राज्य में चुनाव प्रचार खत्म होते ही मध्य प्रदेश की सीमाएं सील कर दी गईं हैं। उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश में प्रवेश करने में कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ रहा है। ओरछा से दतिया के बीच में झांसी है, इसलिए दो बार सीमाओं से गुजरना पड़ता है।
दतिया जिले में मुकाबला तो भाजपा व कांग्रेस में ही है, लेकिन रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पूरे प्रदेश में केवल यहीं सबसे ज्यादा प्रभावी है। पासवान खुद बीते एक साल में यहां के आधा दर्जन दौरे कर चुके हैं। मांडेर सीट पर उसके प्रदेश अध्यक्ष फूल सिंह बरैया ने भाजपा व कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ाई हुई हैं। दतिया शहर की सीट पर प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्र को कांग्रेस व बसपा ने घेर रखा है। पूर्व सिंधिया रियासत के इस क्षेत्र को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य ने प्रतिष्ठा की लड़ाई बनाया हुआ है।

आज उम्मीदवारों का भाग्य लिखेगा मतदाता

भोपाल। हंग असेंबली की आशंकाओं के बीच मध्यप्रदेश का मतदाता गुरुवार 27 नवंबर को 13 वीं विधानसभा का भाग्य लिखेगा। कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होने वाले मतदान में कौन सिरमौर बनेगा, आठ दिसंबर को आने वाले नतीजे बताएंगे। प्रदेश में इस बार भी मुख्य मुकाबला सत्तासीन भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच है, लेकिन उमा भारती की भाजश, मायावती की बसपा तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित अन्य छोटे दल भी अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में हैं।
प्रदेश के सभी 230 क्षेत्रों में शांतिपूर्ण व निष्पक्ष मतदान कराने के लिए पुख्ता सुरक्षा प्रबंधों के साथ ही सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य निर्वाचन कार्यालय के सूत्रों के अनुसार गुरुवार सुबह आठ बजे से 47 हजार 209 मतदान केंद्रों पर मतदान शुरू हो जाएगा, जो शाम पांच बजे तक चलेगा। राज्य के चुनावी समर में उतरे 1369 निर्दलीयों समेत 3179 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बंद हो जाएगा। कुल प्रत्याशियों में 196 महिलाएं और 2983 पुरूष शामिल हैं।
प्रदेश में 1,71,63,358 महिलाओं समेत 3,62,79,173 मतदाता मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। मतदान के लिए फोटोयुक्त मतदाता परिचय पत्र आवश्यक किया गया है, लेकिन जिन मतदाताओं को परिचय पत्र नहीं मिल पाए, वह निर्वाचन आयोग की ओर से निर्धारित 13 वैध दस्तावेजों के आधार पर वोट डाल सकेंगे।
आयोग का दावा है कि राज्य में लगभग 94 प्रतिशत मतदाताओं को फोटोयुक्त परिचय पत्र जारी किए जा चुके हैं। तेरहवीं विधानसभा के इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के 228- 228 प्रत्याशी मैदान में हैं। बसपा के 228,
समाजवादी पार्टी के 187 भारतीय जन शक्ति के 197, शिवसेना के 29, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 21, मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 14, राष्ट्रीय जनता दल के चार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो और अन्य दलों के 672 प्रत्याशियों की किस्मत दाव पर लगी है। प्रदेश के 47 हजार 209 मतदान केंद्रों पर एक लाख 88 हजार से अधिक कर्मचारियों को मतदान संबंधी कार्य संपन्न कराने के लिए तैनात किया गया है। बारह हजार से अधिक मतदान केंद्र संवेदनशील माने गए हैं। सुरक्षा के लिए 262 कंपनियों को तैनात किया गया है। नक्सली बहुल बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिलों के अलावा उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे डकैत प्रभावित ग्वालियर-चंबल, सागर और रीवा संभाग के जिलों की सीमाओं को सील करने के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके।

सोमवार, 10 नवंबर 2008

मैदानी स्तर तक जुड़ेंगे चुनाव आयोग के तार

भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के दिन बगैर अवरोध के मैदानी स्तर से चुनाव आयोग तक सूचना संप्रेषण का जाल बिछाया जा रहा है। इस सिलसिले में सारे जिला कलेक्टरों को इत्तेला करके तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है।
इस बार के चुनाव में सूचनाओं के आदान-प्रदान का ऐसा ढांचा तैयार किया जा रहा है, जिससे कोई भी जानकारी विभिन्न स्तरों से गुजर कर आयोग के पास तत्काल पहुंच जाए। इस संचार व्यवस्था का माध्यम लैंडलाइन फोन, मोबाइल, फैक्स और वायरलैस बनेंगे। इससे मतदान केन्द्र के करीबी थाने या चौकी से लेकर संबंधित जोनल अफसर, सेक्टर मजिस्ट्रेट, मतदान केन्द्र के करीब रहने वाले भरोसेमंद व्यक्ति तथा जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और आयोग तक के तार आपस में जुड़ जाएंगे।
मतदान के दिन सबसे पहला काम यह होगा कि मॉक पोल का सíटफिकेट सुबह साढ़े आठ बजे तैयार करके भारत निर्वाचन आयोग को उपलब्ध कराया जाए। इसके बाद निर्धारित अंतराल पर मतदान की विस्तृत रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और निर्वाचन आयोग तक पहुंचाई जाएगी। संचार तंत्र जुड़ाव की इस योजना का इस्तेमाल मतदान केन्द्रों, रूट चार्टो और चुनाव की अन्य तैयारियों में भी होगा। प्रशासकीय तौर पर विभिन्न स्तरों पर प्रत्येक दो घंटे के अंतराल से कुल मतदान प्रतिशत, महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या का ब्यौरा इस संचार योजना का हिस्सा होगा। रिटìनग अफसरों द्वारा आयोग को भेजी जाने वाली तयशुदा वैधानिक रिपोर्ट मतदान के दिन दोपहर एक बजे और शाम पांच बजे और दूसरे दिन सुबह सात बजे फैक्स के जरिए भेजी जाएगी।
इसकी एक प्रति जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को अनिवार्य तौर पर दी जाएगी। मतदान समाप्त होने के बाद कुल मतदान प्रतिशत एवं संख्या, किसी घटना या दुर्घटना, मतदान में खलल, ¨हसा, मतदान प्रक्रिया बिगाड़ने की जानकारी भी इन संचार माध्यमों से तत्काल दी जाएगी। इसके अलावा वह सूचना भी दी जाएगी, जिसे वरिष्ठ स्तर पर बताई जाना जरूरी है। योजना का दूसरा हिस्सा वरिष्ठ स्तरों से आने वाले ऐसे निर्देशों और आदेशों का होगा, जिन पर मैदानी अफसरों को तत्काल अमल करना है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर टीमें गठित की गई हैं। रिटìनग अफसर की कम्युनिकेशन टीम तयशुदा वक्त में अपना काम पूरा कर जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की टीम को इसकी सूचना देगी, जिसे फिर भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। कम्युनिकेशन प्लान से जुड़ने वाले सभी संपर्क नंबरों, व्यक्तियों, स्थानों की चे¨कग कर एक बार पूर्वाभ्यास 10 से 17 नवंबर के बीच और फिर दूसरी बार 18 से 25 नवंबर के बीच होगा।

प्रदेश में बढ़े चुनाव लड़ने के इच्छुक

भोपाल। प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख तक कुल 2 हजार 505 उम्मीदवारों ने पर्चे भरे। इनमें 4 हजार 136 पुरूष और 369 महिला उम्मीदवार शामिल हैं।
इस वर्ष 2003 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार नामांकन दाखिल करने वालों की तादाद में 1 हजार 444 लोगों का इजाफा हुआ है जबकि उस वक्त कुल 3 हजार 61 लोगों ने ही नामांकन पत्र भरे थे।
प्रदेश में मौजूदा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का सिलसिला 31 अक्टूबर से शुरू हुआ था जो 7 नवंबर तक चला।
इस बार अलग बात यह थी कि प्रदेश के कुल 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 177 क्षेत्रों में नामांकन पत्र संबंधित जिला मुख्यालयों पर और 53 क्षेत्रों में नामांकन इन इलाकों के रिटìनग अफसरों ने जिला मुख्यालय से बाहर अपने दफ्तरों के मुख्यालय पर प्राप्त किए थे। सर्वाधिक 208 लोगों ने रीवा जिले में और सबसे कम 9 लोगों ने अलीराजपुर जिले में नामांकन पत्र भरे।

48 घंटे सील रहेगा राजस्थान बार्डर

भोपाल। चुनाव आयोग ने राजस्थान बार्डर पर एक रणनीति के तहत पूरी चौकसी बरतने के निर्देश दिए हैं। इस सिलसिले में की जाने वाली सघन जांच के दायरे में दोनों राज्यों से गाड़ियों, असामाजिक तत्वों, शराब, हथियार और बगैर हिसाब की नगद राशि का परिवहन शामिल होगा। मतदान के दौरान 48 घंटे यह बार्डर पूरी तरह सील रहेगी।
प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा कि राजस्थान से लगे प्रदेश के जिलों में कड़ी चौकसी के उपाय तत्काल किए जाएं। इसके अलावा ऐहतियाती जरूरी कदम भी उठाए जाएं। निर्देशों में कहा गया है कि राजस्थान से आवाजाही करने वाली गाड़ियों की कड़ी जांच की जाए। जांच का यह सिलसिला दिन के साथ रात में भी चलेगा। इसके लिए निर्धारित जांच चौकियों के साथ ही चलित रूप से भी जांच की जाएगी। यह पूरा काम दोनों राज्य एक-दूसरे से मशविरा कर अंजाम देंगे। आयोग ने असामाजिक तत्वों की दोनों राज्यों में आवाजाही रोकने के लिए मतदान समाप्ति के 48 घंटों के दौरान सीमाएं सील करने को कहा है। आयोग ने यह हिदायत राजस्थान में भी होने जा रहे विधानसभा चुनाव के दौरान वहां किए जाने वाले इंतजाम की समीक्षा के बाद दी है। आयोग का मानना है कि निर्वाचन अपराध करने और बाद में वहां से बच निकलने के लिए ये तत्व सीमाओं का सहारा ले सकते हैं। ये निर्देश सीमावर्ती सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को दिए हैं।
टीवी चैनलों पर राजनीतिक विज्ञापन के लिए समिति :
उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अमल के सिलसिले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने टीवी चैनलों और केबल नेटवर्क पर राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण के लिए एक समिति गठित की है। यह समिति राजनीतिक दलों और संगठनों के विज्ञापन प्रसारण संबंधी आवेदनों का परीक्षण करेगी। समिति का अध्यक्ष अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आशीष श्रीवास्तव को बनाया गया है। इसके सदस्य भोपाल कलेक्टर मनीष रस्तोगी और दूरदर्शन केन्द्र भोपाल के केन्द्र निदेशक रहेंगे।
इसी तरह एक और समिति मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी जेएस माथुर की अध्यक्षता में गठित की गई, जो पहली समिति के फैसले के खिलाफ राजनीतिक दल, उम्मीदवार या किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत शिकायत या अपील की सुनवाई करेगी। इसके बाद यह समिति प्रमाणीकरण संबंधी फैसला देगी।
तीन दिन पहले देना होगा विज्ञापन के लिए आवेदन :
हर पंजीकृत राजनीतिक दल और उम्मीदवार को विज्ञापन प्रसारण के न्यूनतम तीन दिन पहले आयोग द्वारा तयशुदा प्रारूप में आवेदन देना होगा। अन्य व्यक्तियों और गैर पंजीकृत दलों को यह आवेदन विज्ञापन प्रसारण के न्यूनतम 7 दिन पहले देना होगा।

भाजपा के 90 प्रतिशत बागी हुए राजी

भोपाल। बागी उम्मीदवारों को मनाने के मामले में भाजपा दूसरे दलों से तेज साबित हो रही है। पार्टी के नब्बे प्रतिशत बागी शनिवार रात तक नाम वापसी के लिए राजी हो गए थे। डेमेज कंट्रोल का यह काम खुद प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। वे सुबह से देर रात तक फोन पर रूठे नेताओं को मनाते रहे।
प्रदेश में बगावत की खबरें पाकर शुक्रवार को अचानक भोपाल आए राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल प्रदेशाध्यक्ष के कुशल प्रबंधन से संतुष्ट होकर शनिवार को वापस लौट गए। इससे पहले सुबह रामलाल ने प्रदेशाध्यक्ष तोमर, संगठन महामंत्री माखन सिंह, सह संगठन महामंत्री भगवतशरण माथुर, उपाध्यक्ष अनिल दवे के साथ बैठ कर प्रदेश भर की स्थिति की समीक्षा की। इसके बाद प्रदेश कार्यालय में बैठ कर तोमर ने नाराज होकर पार्टी के खिलाफ नामांकन दाखिल करने वालों के साथ जिलों के प्रमुख नेताओं से चर्चा की। यह सिलसिला रात तक चला। इस मुहिम के चलते शाम को संभाग प्रभारियों के साथ होने वाली बैठक कल तक के लिए टाल दी गई। अब पार्टी कल संभाग प्रभारियों को बाकी बचे नाराज नेताओं को मनाने का जिम्मा सौंपेगी। जागरण से चर्चा में तोमर ने दावा किया है कि निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले नब्बे प्रतिशत कार्यकर्ता नाम वापस लेने तैयार हैं। नाम वापसी की अंतिम तारीख दस नवंबर तक भाजपा को बगावत का कहीं भी सामना नहीं करना पड़ेगा। तोमर के अनुसार सभी लोग भाजपा के कार्यकर्ता हैं। अपेक्षाएं पूरी नहीं होने पर कई बार वे ऐसा कदम उठा लेते हैं, लेकिन सही और गलत का भान होते ही वे हमेशा पार्टी के पक्ष में ही निर्णय लेते हैं।
स्वामी लोधी को भाजपा ने बनाया हथियार
दो माह पहले भाजपा से त्यागपत्र देने वाले भारतीय जनशक्ति अध्यक्ष उमा भारती के बड़े भाई स्वामी प्रसाद लोधी ने शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया। उमा विरोधी तेवर अख्तियार कर चुके स्वामी का इस्तेमाल भाजपा अब टीकमगढ़ में सुश्री भारती के खिलाफ करेगी। इससे पहले सुश्री भारती के चुनाव लड़ने की संभावना भांप कर ही भाजपा ने खाद्य मंत्री अखण्ड प्रताप सिंह को टीकमगढ़ से उम्मीदवार बनाया है। स्वामी की तरह अखण्ड भी काफी मुखर हैं। भाजश ने उन्हें जबेरा से चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया, जो उन्हें रास नहीं आया। स्वामी बीते सप्ताह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से मिले, तब उन्हें वापसी के लिए मना कर दिया गया था। सुश्री भारती द्वारा टीकमगढ़ से नामांकन दाखिल करते ही स्वामी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो गए और आज उन्हें बुला कर भाजपा में शामिल कर लिया गया। भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने उनका स्वागत किया। लोधी के अनुसार वे अब टीकमगढ़ जाकर पार्टी के पक्ष में प्रचार करेंगे।

शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

अपराध और संपत्ति ब्यौरा नहीं देने पर पर्चा खारिज

विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को नामांकन पत्र के साथ दो शपथ पत्र भी जमा करना होंगे। शपथ पत्र में उन्हें अपने आपराधिक रिकार्ड और चल-अचल संपत्ति का पूरा विवरण देना होगा वरना चुनाव आयोग उनका पर्चा खारिज कर देगा।
आयोग के अनुसार आपराधिक मामले का पूरा ब्यौरा देना होगा जिसमें धाराओं और आरोप निर्धारित होने से लेकर ताजा स्थिति तक की जानकारी होनी चाहिए। इसके साथ दिए जाने वाले दूसरे शपथ पत्र में उम्मीदवार के स्वयं, पत्‍‌नी और आश्रितों के पास मौजूद नगद राशि, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में जमा धनराशि, बांड, डिवेंचर, एनएसएस, डाक बचत, शेयर, बीमा पालिसी, गाड़ियां, गहनों सहित सभी संपत्ति के बारे में बिंदुवार जानकारी देना होगी। इसी तरह उसे अचल संपत्तियों में कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, भवन और ऐसी संपत्ति जिसमें उम्मीदवार का हिस्सा हो उनकी जानकारी देना पड़ेगी। इस शपथ पत्र में उम्मीदवार को कर्ज के बारे में भी बताना होगा कि उसे किसे कितने रुपए देना हैं। आयोग ने नामांकन पत्र भरने में पूरी सतर्कता बरतने की सलाह दी है ताकि पर्चा खारिज न हो। सूत्र बताते हैं कि किसी भी प्रकार की खामी रहने या तय शर्त के तहत नामांकन दाखिल नहीं करने पर आयोग पर्चा निरस्त कर सकता है। आयोग के दफ्तर में हेल्प लाइन शुरू : राजधानी में स्थित मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के दफ्तर में मतदाताओं की सहूलियत के लिए 24 घंटे की हेल्प लाइन सेवा शुरू की गई है। हेल्प लाइन के मोबाइल नंबर 9425601845 और 9425601846 पर लोग मतदाता सूची में अपने नाम, फोटो परिचय पत्र, मतदान केंद्र और अपने विधानसभा क्षेत्र आदि के बारे में जानकारी ले सकेंगे। इसके अलावा सिर्फ बीएसएनएल उपभोक्ता मतदाता के रूप में शार्ट कोड नंबर 554466 पर अपने फोटो परिचय पत्र का नंबर एसएमएस कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इन नंबरों पर चौबीस घंटे जानकारी मिलेगी। इसी तरह निर्वाचन कार्यालय के काल सेंटर पर लगे फोन नंबर 0755-2555999 पर भी सुबह छह बजे से रात दस बजे तक संपर्क किया जा सकता है।
तब भी हो सकता है पर्चा निरस्त
* पछले चुनाव के खर्च का ब्यौरा नहीं दिया हो।
* रटर्निग आफिसर और सहायक रिटर्निग आफिसर की जगह किसी और को सौंपने पर।
* आवश्यक और योग्य प्रस्तावकों के हस्ताक्षर नहीं होने पर।
* सुरक्षा राशि जमा नहीं करने पर।
* सही उम्र और अन्य जानकारी नहीं भरने पर।
* संबंधित क्षेत्र का मतदाता नहीं होने पर।
* मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल के अधिकृत पदाधिकारी दल द्वारा पार्टी के उम्मीदवार के बारे में निर्वाचन अधिकारी को सूचना नहीं देने पर।
भाजपा के 3-4 सांसद ही पाएंगे टिकट
भोपाल। प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने के लिए पैनल में हर जिले से सांसद का नाम शामिल करने वाली भाजपा ने अब हाथ खींच लिए हैं। पार्टी परिसीमन से प्रभावित तीन से चार सांसदों को ही इस बार विधानसभा चुनाव लड़ाएगी। 23 और 24 अक्टूबर को हुई प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में पार्टी के दस सांसदों के नाम विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए विभिन्न सीटों से पैनल में रखे गए थे। भाजपा के जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट मिल सकता है उनमें परिसीमन प्रभावित मुरैना सांसद अशोक अर्गल, भिंड सांसद रामलखन सिंह, सागर सांसद वीरेंद्र खटीक, तथा बैतूल सांसद हेमंत खण्डेलवाल के साथ होशंगाबाद सांसद सरताज सिंह का नाम शामिल हैं। धार सांसद छतर सिंह दरबार, सतना सांसद गणेश सिंह और विदिशा सांसद रामपाल सिंह भी टिकट चाहने वालों की सूची में हैं, लेकिन इनका चांस कम है। इनमें पहले दमोह लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके खजुराहो सांसद रामकृष्ण कुसमारिया का भी नाम शामिल था। उनका नाम पथरिया सीट से रखा गया था, लेकिन कुसमारिया ने बैठक के तुरंत बाद चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है। सांसदों को लड़ाने के बारे में पूछे जाने पर कुसमारिया का प्रतिप्रश्न था, लोकसभा खाली करनी है क्या? विधानसभा के बजाए उनकी नजर नई बनी खजुराहो लोकसभा सीट पर है।
इस बीच कुसमारिया को पथरिया से मैदान में न उतरने को लेकर धमकी भी मिल गई है जिसकी शिकायत उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष तथा संगठन महामंत्री से की है। इसी तरह परिसीमन में समाप्त हो रहे सिवनी लोकसभा क्षेत्र की सांसद नीता पटैरिया की केवलारी से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा परवान चढ़ती नहीं दिख रही।
प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें अभी तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिए, उल्टे केवलारी का प्रभारी परिसीमन से विधानसभा क्षेत्र बदलने को विवश हुए पूर्व मंत्री ढाल सिंह बिसेन को बना दिया, जो प्रत्याशी की तरह चुनावी तैयारी में जुटे हैं। बैतूल सांसद हेमंत खण्डेलवाल को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर कर रहे हैं। हालांकि खबर है कि हेमंत ने इस बारे में अपनी अनिच्छा जताई है। प्रदेश चुनाव समिति के एक वरिष्ठ सदस्य पुष्टि करते हैं कि परिसीमन से सीटें बदलने के अलावा बहुत जरूरी होने पर ही सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा जाएगा। उनके अनुसार सभी को यहां लड़ा देंगे तो पार्टी केंद्र में सरकार बनाने के लिए चुनाव कैसे लड़ेगी।